Saturday, April 2, 2011

मेरी नौकरानी सरोज-1

अन्तर्वासना के सभी पाठको, प्यार भरा नमस्कार !

आप सभी ने मेरी जिंदगी की सबसे पहली सेक्सी घटना ' बुआ ने मुझे चोदा" को बहुत पसंद किया उसका धन्यवाद !

आज मैं आप सबको अपनी जवानी के दिनों की बहुत ही अच्छी घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ ! जब मैं 18 साल का था, मेरी एक जवान नौकरानी थी सरोज, वो भी लगभग मेरे ही जितनी थी। गजब की सुन्दर थी और बड़ा ही मादक और खूबसूरत बदन था उसका ! बिल्कुल अनछुई और कच्ची कलि थी !

मेरी कई गर्ल फ्रेंड से भी ज्यादा सेक्सी और सुन्दर थी वो ! शायद यही वजह थी कि मैं एक नौकरानी की कमसिन जवानी पर मर मिटा था ! तब मेरा घर के बाहर ही जनरल स्टोर हुआ करता था ! और जनरल स्टोर में भी सरोज ही साफ सफाई किया करती थी ! जब भी वो झुक कर झाड़ू-पौंछा करती थी तब मैं उसके बड़े-बड़े, गोरे-गोरे और कसे स्तन देखता था, बाथरूम में जाकर उसको चोदने का सोच सोच मुठ मारता था, पर उससे बात कैसे करूँ, कैसे उसे चोदूँ, उसकी छोटी सी गुलाबी चूत कैसी होगी? यही सोचता रहता था !

एक बार जब मेरी मम्मी कुछ दिनों के लिए नानी के घर गई तो मेरे छोटे भाई बहन को भी साथ में लेकर गई, पापा भी रोज सवेरे अपने काम पर चले जाते थे। तो मैंने सोचा कि यही समय हैं सरोज से दोस्ती करने का ! बात बन गई तो अच्छा नहीं तो किसी को पता भी नहीं चलेगा !

मैंने धीरे-धीरे काम के बहाने से ही उससे बातचीत चालू की, बीच बीच में उसे हँसाने की भी कोशिश करता था, उसे भी शायद अच्छा लगता था।

एक-दो दिन में उससे अच्छी दोस्ती हो गई। मैं कभी-कभी मजाक में उसके ऊपर और उसके कसे कमीज़ पर थोड़ा सा पानी डाल देता था। वो गीली हो जाती थी तो उसकी ब्रा और वक्ष दिखते थे। मैं उसके आस पास ही रहता था, बड़ी ही मादक खुशबू आती थी उसके अनछुए कमसिन जिस्म से !

एक दिन दोपहर को मैं जल्दी दुकान बंद करके और घर के बाहर का दरवाजा बंद करके अन्दर आ गया ! सरोज जाने वाली थी, मैंने उसे बहाना बना कर थोड़ी देर रुकने के लिए कहा तो वो मान गई ! मैं उससे मजाक करने लगा ! थोड़ी देर बाद वो फिर जाने लगी तो मैंने नया बहाना बनाया कि मुझे बहुत भूख लगी है और वो अपनी पसंद का कुछ अच्छा बनाकर मुझे खिलाये !

वो फिर मान गई !

मैंने सरोज से फिर मजाक करना चालू किया, इस बार उसने भी मेरे साथ मजाक किया।

मैंने सरोज को मजाक में बोला- मेरे साथ ज्यादा बात मत कर, वरना मैं तुझे उठा कर पटक दूंगा बाथरूम में ले जाकर शॉवर के नीचे ! फिर भीगी बिल्ली बन कर घर जाना !

इस पर उसने कहा- जाओ-जाओ ! बहुत देखे हैं तुम्हारे जैसे !

मैंने सोचा कि अच्छा मौका है !

पर मुझे थोडा सा डर लग रहा था, इसलिए मैं सीधा बाथरूम में गया, मैंने एक भरा हुआ मग पानी लाकर उसकी ड्रेस के ऊपर डाल दिया, जिससे सरोज अच्छी-खासी गीली हो गई !

मैंने कहा- अब बोल ? और अब ज्यादा बात करेगी तो सोच ले कि तब तो तू गई ! पूरा नहला दूंगा, फिर मुझे मत बोलना !

मेरा लंड खड़ा हो चुका था। फिर जैसे ही मेरा ध्यान थोड़ा सा हटा, उसने मेरे सर पर भी पानी डाल दिया !

मुझे जिस मौके की तलाश थी वो मिल गया था !

मैंने उसे बोला- अब तो तू गई काम से !

और पीछे से उसकी कमर से पकड़ कर उठाया जिससे मेरे हाथ उसके वक्ष के ऊपर थे ! मैं तो मदहोश हो रहा था, सरोज को जबरदस्ती बाथरूम के अन्दर ले गया ! वो अपने को हँसते हुए छुड़ाने की कोशिश कर रही थी !

पर मेरी पकड़ उसके बदन पर मजबूत थी ! बाथरूम में जाकर मैंने शॉवर चालू कर दिया और उसके साथ भीगने लगा !

उसने कहा- अब प्लीज़ छोड़ दो !

मैंने भी उसे छोड़ दिया और हम दोनों बाथरूम से बाहर आ गए ! वो लगभग पूरी भीग कर कयामत ही लग रही थी।

मैं तो पागल हुआ जा रहा था पर किसी तरह अपने पर काबू रखा और उसे कहा- देखा, अब मेरे से पंगा मत लेना !

वो फिर से मुझे चिड़ाने लगी !

अब मैंने सोच लिया कि अब तो मैं इसे चोद कर ही रहूँगा !इस बार मैने सरोज को पीछे से सीधे उसकी चूचियाँ ही पकड़ कर उठाया और बाथरूम में ले गया और शॉवर चालू कर दिया। वो फिर से हँसते हुए छुड़ाने की कोशिश करने लगी ! पर अब मेरे सब्र का बांध टूट चुका था, मैं उसे पागलों की तरह चूमने लगा, उसके स्तन दबाने लगा शॉवर के नीचे ही !

फिर मैं ज्यादा देर न करते हुए सरोज को चूमते हुए, स्तन दबाते हुए कमरे में लेकर जाने लगा पर अब वो मेरे इरादे समझ चुकी थी इसलिए वो रोने लगी और अपने पूरे जोर से अपने आप को छुड़ाने लगी। पर मैं तो पागल हो चुका था, मैंने उसे बेड पर पटका और जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए। वो लगातार हंसे जा रही थी और मुझे छोड़ने के लिए भी कह रही थी पर मैं कहाँ सुनने वाला था, मैं उसके ऊपर चढ़ गया।

मैं उसे नंगा करना चाहता था, उसकी प्यारी चूत और बड़े और गोरे स्तन देखना चाहता था और चाटना चाहता था। पर उसके विरोध और बहुत हाथ चलाने के कारण कुछ कर नहीं पा रहा था, क्योंकि उसकी कमीज़ बहुत कसी थी, ज्यादा जोर लगाने से फट जाती तो बाहर कैसे जाती वो और मेरी पोल खुल जाती !

फिर मैंने दिमाग से काम लिया, उसके सर की तरफ जाकर उसके हाथों को अपने घुटनों के नीचे दबा दिया ताकि उसके हाथ चलना बंद हो सके और में उसकी कमीज़ और सलवार उतार सकूँ !

मेरा विचार काम कर गया, मैंने उसकी कमीज़ और ब्रा उतार दिए। क्या गोरी-गोरी चूचियाँ थी उसकी और क्या गुलाबी चुचूक थे उसके ! गरीब के घर अप्सरा पैदा हुई थी ! मैं तो जन्नत में आ गया था !

वो हंस-हंस कर मुझे छोड़ने को कह रही थी मगर मैं उसके चुचूक को चूसने लगा और खूब चूसा, और होंठों पर भी जोर से चूम रहा था। धीरे-धीरे उसका विरोध ख़त्म हो रहा था ! अब वो चुपचाप मेरा साथ देने लगी, मज़ा लेने लगी।

मैं फिर उसके ऊपर आ गया और पागलों की तरह उसे चूमता और चूचियाँ चूसता जा रहा था और वो जोर जोर से सिसकारियाँ ले रही थी।

आगे क्या हुआ जल्दी ही लिखूँगा !

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