Saturday, April 2, 2011

दोबारा काम मिला

मैं सबसे पहले गुरूजी का धन्यवाद करता हूँ कि मेरी कहानी "काम में मज़ा आया?" को अन्तर्वासना पर जगह दी।

आज मैं दूसरा कहानी लिख रहा हूँ।

मुझे पहले काम को पूरा करने के बाद मुझे दूसरा काम लखनऊ में दिया गया। मुझे ईमेल पर संदेश दिया गया कि आप को कॉल आयेगी आप बात करके समय पर पहुँच जाना।

मैंने उत्तर दे दिया। मेरे पास फोन आया कि आप क्या शनिवार को शाम चार बजे सकते हैं।

मैंने कहा- मुझे आपके फोन का इंतज़ार था ! आप बताएँ कि कब और कहां आऊँ।

महिला ने उत्तर दिया- आप साढ़े तीन बजे मुझे फोन करना ! मैं बता दूँगी कि आपने कहां आना है।

मैं समय पर लखनऊ पहुँच गया और साढ़े तीन बजे फोन लगाया। मैडम ने कहा- आप कहाँ हो?

मैं बोला- रेलवे स्टेशन पर !

तो वह बोली- आप पता नोट करो !

और उसने मुझे पता बता दिया। मैं सीधा स्टेशन से अलीगंज पते पर गया, मैडम ने दरवाजा खोला। मुझे पूछा और फिर उन्दर ले गई। मुझे अपने मेहमान-खाने में बिठाया और पानी पूछा और चाय पिलाई।

मैडम की उम्र तकरीबन 47-48 वर्ष होगी, मगर थी सुंदर। उसने कहा- आप यहाँ आराम से रहें ! आपको कोई दिक्कत नहीं होगी। मेरे अलावा आज यहाँ कोई नहीं है और आप अपनी सेवाएँ आराम सें दें।

मैंने पूछा- आपने इससे पहले किसी लड़के को बुलाया है?तो बोली- लखनऊ में नहीं ! हाँ बैंगलोर में। आप फ्रेश हो लो ! मैं आती हूँ।

और वह मुझे कमरे में ले गई और कहा- आप यहाँ रुकें।

मैं बोला- नहा लूँ ! और टॉयलेट गया, नहाया और फ्रेश हो कर बाहर गया।

मैडम जिनका नाम मैं नहीं दे रहा लेकिन कोई दूसरा नाम जैसे राखी, लिखूँगा।

राखी ने कहा- तुम हमारे कमरे में आओ !

और मुझे वहाँ लेजाकर बोली- आप अपना काम शुरू करो !

तब मैंने उनके बिस्तर के पास रखी तेल की शीशी ली और उनसे कहा- आप लेट जाओ, मैं आपकी मालिश कर दूँ !

और राखी लेट गई, उन्होंने केवल पतली सी लम्बी फ़्रॉक पहनी थी। मैंने पैर से शुरु किया और उनकी जांघ तक हाथ ले गया और फिर उन्हें कहा- आपकी ड्रेस उतार रहा हूँ !

और धीरे से उनकी फ़्रॉक उतार दी। मैं अब पीठ पर तेल लगा रहा था राखी की और पीठ पर लगाने के बाद हाथ नीचे उनके स्तन पर फेर दिया। वो पलट गई, बोली- अब ठीक से लगाओ !

मैं उनके स्तन पर तेल लगा कर दबाने लगा और धीरे से हाथ पेट से सरका कर नीचे बिना बाल की चूत पर हाथ डाल दिया।

उनको यही चाहिए था और फिर अपनी सबसे लम्बी उंगली उनकी चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा। वह तो मालिश से ही गीली हो रही थी, अब उनकी हालत ऐसी हो गई कि बोलने लगी- अब डाल दो अपना लण्ड !

मैं खड़ा था, राखी ने मेरी शॉर्ट खोल दी, नंगा कर दिया और मेरे लण्ड को हाथ में लेकर चूसने लगी। और साथ ही कह भी रही थी- अब डाल दो !

मैंने कहा- राखी जी, थोड़ी इन्तज़ार करो आप !

और उनको तौलिए से पौंछा, कहा- अब आप लेट जाएँ !

और उनके लेटते ही मैं जंगली की तरह उन पर टूट पड़ा, उनके स्तनों को चूसा और चूत में उंगली की। फिर धीरे से नीचे आकर उनकी चूत को चाट डाला। वह उछल रही थी, बोल रही थी- मजा गया यार ! तू पहले कहाँ था ? बस चाटता जा !

और वो झड़ गई।

फिर मैंने अपने लिंग को उनकी चूत पर रख कर धीरे से अन्दर डाल दिया।

वो बोली- शाबाश मेरे राजा ! क्या तरीका है ! मजा गया ! पूरा डाल दो !

और फिर उठा-पटक शुरू हो गई।राखी स्खालित हो रही थी, बोली- अपना पानी मेरे मुँह में देना !

और मैं भी 15 मिनट बाद स्खालित होने जा रहा था। निकाला लिंग को और उनके मुँह पर कंडोम निकाल कर लगा दिया।

वो चूसने लगी, पानी निकला और राखी सारा पी गई। हम दोनों बिस्तर पर निढाल होकर गिर गए। रात होने को थी, मैं बाथरूम गया, मुँह धोया, अपने कपड़े पहने और राखी भी कपड़े पहन कर गई, बोली- चलो, बाहर खाना खाकर आते हैं !

हम होटल कम्फर्ट-इन गए, वहाँ से खाना खाकर विभुतिखंड से सहारागंज गए। वहाँ पर उन्होंने कुछ खरीदारी की, मुझे जींस, टी-शर्ट खरीदवाई और फिर घर गए।

रात के साढ़े ग्यारह हो गए थे, मैं तो थक गया था।

राखी बोली- आलोक, तुम जाओ ! सो जाओ ! मैं भी आराम करूंगी ! सुबह मिलते हैं !

मैं सो गया। पता नहीं रात कितने बजे राखी मेरे कमरे में आई और मेरी बगल में लेट कर मेरे लिंग पर हाथ फेरने लगी।

मैं अचकचा गया, यह कौन है?

फिर देखा कि राखी है। बोली- रूका नहीं गया !

और फिर मेरे लिंग को चाट कर खड़ा कर दिया और बोली- डालो यार !

और फिर मैंने उसको कहा- अच्छा तो अब घोड़ी की तरह झुक जाओ !

और पीछे से उसकी चूत में लिंग डाल दिया।

वो उछल पड़ी- यारऽऽ ! क्या मजा दिया !

और फिर पीछे से उसे खूब चोदा। वो जल्दी निढाल हो गई पर मेरा गिर नहीं रहा था।

बोली- यार गिरा दो !

और फिर मैं उसको रगड़ मारता रहा और उसके वक्ष पर अपना पानी गिरा दिया।

इसके बाद वह बोली- अब तुम सो जाओ !

समय देखा तो सुबह के चार बज गए थे और थकान अलग थी, मैं सो गया।

सुबह राखी ने साढ़े दस बजे जगाया, बोली- उठो और फ्रेश हो जाओ !

मैं नहा कर गया, नाश्ता किया और बोला- राखी मैडम, आप के हो?

बोली- मैं अच्छी हूँ, बहुत मज़ा आया।

और मुझे रुपये देकर बोली- आप मेरे सम्पर्क में रहना, आपको जब मैं बुलाऊँ तो आप जाना !

मैंने रुपए लिए और निकल गया।

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